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Wednesday, May 7, 2025

मां-बाप की परवरिश न करना और बदनाम करने के लिए झूठ का सहारा लेना: एक सामाजिक और नैतिक विफलता पर लेख

मां-बाप की परवरिश न करना और बदनाम करने के लिए झूठ का सहारा लेना: एक सामाजिक और नैतिक विफलता
आज के बदलते समाज में रिश्तों की परिभाषा तेजी से बदल रही है। विशेष रूप से मां-बाप और संतान के बीच का पवित्र रिश्ता भी अब स्वार्थ, संपत्ति और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की भेंट चढ़ता दिखाई देता है। एक दुखद पहलू यह भी है कि कुछ संतानें अपने माता-पिता की परवरिश करना तो दूर, उन्हें घर से बेदखल कर देती हैं, और जब जनता या समाज में इस पर सवाल उठते हैं, तो झूठ और भ्रम फैलाकर खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश करती हैं।

परवरिश का उत्तरदायित्व:
हर संतान का यह नैतिक और कानूनी दायित्व है कि वह अपने बुज़ुर्ग माता-पिता की देखभाल करे। यह न केवल भारतीय संस्कृति का मूल तत्व है, बल्कि "माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण अधिनियम 2007" के तहत एक कानूनी अनिवार्यता भी है। लेकिन दुर्भाग्यवश, कुछ लोग संपत्ति हथियाने या पारिवारिक झगड़ों में माता-पिता को बोझ समझकर उन्हें अकेला छोड़ देते हैं।

बेदखली: प्रेम का अंत या लालच की जीत?
जब कोई बेटा या बेटी अपने ही माता-पिता को घर से निकाल देता है, तो वह केवल एक रिश्ता नहीं तोड़ता, बल्कि इंसानियत और संवेदनशीलता को भी शर्मसार करता है। अक्सर देखा गया है कि संपत्ति विवादों में संतानें कोर्ट-कचहरी का सहारा लेकर या फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए बुजुर्गों को उनके ही घर से निकाल देती हैं।

जनता में झूठ फैलाना: एक और अन्याय
जब समाज या रिश्तेदार ऐसे अमानवीय कृत्य पर सवाल उठाते हैं, तो कई बार दोषी संतानें खुद को सही ठहराने के लिए झूठ का सहारा लेती हैं। वे माता-पिता को मानसिक रूप से अस्थिर, लालची या झगड़ालू साबित करने की कोशिश करती हैं, ताकि खुद की छवि को बचाया जा सके। यह न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि बुजुर्गों के आत्म-सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा आघात पहुंचाता है।

समाज की भूमिका:
ऐसे मामलों में समाज की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। हमें सिर्फ तमाशबीन बनने की बजाय, पीड़ित बुजुर्गों के लिए आवाज़ उठानी चाहिए। स्थानीय प्रशासन, वृद्धाश्रमों और सामाजिक संगठनों को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप कर न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।

निष्कर्ष:
मां-बाप की सेवा करना कोई एहसान नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। जो संतानें इस जिम्मेदारी से भागती हैं और झूठ का सहारा लेकर खुद को निर्दोष दिखाने की कोशिश करती हैं, वे न केवल समाज में बल्कि खुद की आत्मा के सामने भी दोषी हैं। समय रहते हमें अपनी सोच बदलनी होगी, वरना यह सामाजिक विघटन हमारी अगली पीढ़ियों को एक ठंडी और स्वार्थी दुनिया सौंपेगा।
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 (ऑल इंडिया रिपोर्टर , महाराष्ट्र ब्यूरो - नजीर मुलाणी )

जलत ही इस मामले को लेकर माण खटाव मतदार संघ के आमदार जयकुमार गोरे भाऊ तथा ग्राम विकास मंत्री , सोलापुर जिला पालक मंत्री से मुलाकात करेंगे ऑल इंडिया रिपोर्टर - नजीर मुलाणी निटवेवाडी खुटबाव गांव घाट (रोड़ ) के संदर्भ में चर्चा यह हफ्ते में  उनके निवास स्थल पर ।  https://youtu.be/eMVd0sbx3CU?si=vRo_KBbixPRg67q6

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